मेरे घर के पास बंगाली चौराहे के एक कोने पर इस विज्ञापन का बड़ा सा होर्डिंग टंगा है। चौराहे पर दिवंगत माधवराव सिंधिया की काली प्रतिमा की दिशा भी कुछ ऐसी है मानो उसकी निगाहें विज्ञापन के अर्थों को समझने की कोशिश कर रही हों। वह तो काले पत्थर की मूरत है, क्या सोच रही है, बता नहीं सकता, लेकिन मैं तो हाड़-मांस का ढांचा हूं। थोड़ा सा खुश इसलिए हूं कि घर से पत्नी को लेकर निकलते वक्त चौराहे पर होकर जाना जरूरी नहीं। बाजू की गली से एक शार्टकट निकलता है, जिससे चौराहे पर जाए बगैर भी अपनी राह पकड़ी जा सकती है। होर्डिंग टंगने के बाद से शार्टकट ही मेरा मार्ग है।
मैं रास्ता क्यों बदल रहा हूं? क्योंकि होर्डिंग हटवाना मेरे बस में नहीं। मैं तो बस होर्डिंग के मंत्र का अर्थ करता हूं तो डर जाता हूं। दरअसल इतना महिला भोगी नारा पहले कभी खुले आम देखने या पढऩे को नहीं मिला। नारे का संदेश साफ है महिला भोग की वस्तु है और सिर्फ किसी एक से संबंध बनाना न तो नैतिकता है और न ही समय की जरूरत। जिस्मनुमा वस्तु का सेवन करो। बस ध्यान यह रहे कि आपने कंडोम नाम का कवच धारण कर रखा हो!
नाको की इस अश्लील हिमाकत के पीछे कौन है? यह पूछने या बताने की जरूरत नहीं। मामूली समïझदार भी यह जानता है कि कुछ कंपनियों के आर्थिक असले को बढ़ाने के खातिर देश में कंडोम प्रमोशन का काम बहुत तेज रफ्तार के साथ जारी है। इस रफ्तार में नैतिकता, मूल्य, सच्चाई, स्त्री मर्यादा, शर्म, लिहाज, जैसे तमाम छोटे पर अहम स्टेशन पीछे छूट रहे हैं।
मेरे मित्र डॉ. मनोहर भंडारी और डॉ. सदाचारी सिंह तोमर इस कंडोम प्रमोशन के खिलाफ तथ्यों के साथ जुटे हैं। उन्होंने नाको से कुछ सवाल पूछे, जिनके जवाब नाको के पास भी मौजूद नहीं है। नाको से उन्हें मिली चिठ्ठी के मुताबिक नाको को यह पता नहीं है कि चुंबन से एड्स होता है या नहीं, और कंडोम पहनने भर से आप एड्स से बच जाएंगे या नहीं? जरा गौर करें, दो सवाल व जवाबों पर -
सवाल-
नाको ने चुंबन को एचआईवी संक्रमण की दृष्टि से न तो निरापद बताया जाता है न ही संक्रामक। आखिर यह रहस्य क्यों?
जवाब -
इस पर विचार संबंधी पुस्तक भेजी जा रही है। (पुस्तक में एचआईवी संक्रमण से बचने के तरीके बताए गए हैं, इसमें चुबंन का जिक्र नहीं है।)
नाको ने चुंबन को एचआईवी संक्रमण की दृष्टि से न तो निरापद बताया जाता है न ही संक्रामक। आखिर यह रहस्य क्यों?
जवाब -
इस पर विचार संबंधी पुस्तक भेजी जा रही है। (पुस्तक में एचआईवी संक्रमण से बचने के तरीके बताए गए हैं, इसमें चुबंन का जिक्र नहीं है।)
सवाल-
भारत में गर्भधारण व गुप्त रोगों के संक्रमण की दृष्टि से निरोध एवं अन्य माध्यमों की असफलता की कितनी औसत दर है?
जवाब-
इस विषय पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
तो आप भी सोचिए ... देश में एड्स फैलने से रोकने के लिए बनाए गए सर्वोच्च संस्थान को यह पता नहीं है कि निरोध जैसे साधनों की असफलता का प्रतिशत क्या है? फिर भी आप चाहते हैं
एक से या अनेक से तो मर्जी आपकी।
naako ki tarah hamaara bhi ek naara hai. hamesha ek se hi. wo bhi lisenci.
ReplyDeletePtrakarik nazar matlab sukshmta se chizon ko dekhna. badhai
ReplyDeletevijay bhai
ReplyDeleteabhut hi sukshma vishleshan.
aapko badhai aur aapke in sawaalon ke vishleshan wali post ka intejaar rhega
vijay ji
ReplyDeleteaapne bahut mahtavpoorn baat ko pakda hai. jo sabhi ke liye samjhna jaruri hai.
Vijay Bhai,
ReplyDeleteNACO kii ye "BACHKAANA" ghalti pakdna aur apne Doston se share karna, darasal aapki aur se is mudde ko lekar Jan Jaagriti kii aur badhaaya aapka pehla Qadam hai.
Aapki is Haq Bayaani aur Farz adaaygi ka Shukriya.