Tuesday, March 22, 2016

bhagoriya

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Posted by Veejay Chaudhary on Monday, March 21, 2016

Tuesday, January 12, 2016

















Friday, January 1, 2016

its time for Brand Indore 


Sunday, December 6, 2015

मैडम के तेवर और चायवाला

मैडम के तेवर और चायवाला  



‘अरे, अब आएगा मजा। मैडम ने तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं।’ चाय उकालते हुए वह बोला।
मैंने पूछा, ‘कौन सी मैडम, कौन से तेवर और काहे का मजा!’
‘अरे बाबू, शहर में नहीं रहते हो क्या? हमारी मेयर मैडम की बात कर रहा हूं। अभी दो दिन पहले ही उन्होंने अफसरों की लू बांध दी। काम ही नहीं कर रहे थे, अब देखो धमाधम काम होने लगेंगे’, उसने बेहद गर्व से कहा।
‘रहता हूं भाई। मगर मुझे इन बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं है। मुझे तो बस अच्छा शहर चाहिए। उसे कौन बनाएगा, ये मैं नहीं जानता हूं। लेकिन हां, यह जरूर है कि इंदौर की बेहतरी के लिए मेयर को आगे आना ही चाहिए। आखिर जनता ने उन्हें बड़ी उम्मीदों से वोट दिए हैं’, मैंने दार्शनिक अंदाज में कमेंट किया।
वह भी तैयार था। बोला, ‘बात तो सही है। मगर मैडम को काम करने ही नहीं दे रहे हैं। वे जो चाहती हैं, कर ही नहीं पा रही हैं। उनकी और उनके लोगों की चल ही नहीं रही है। नगर निगम के निकम्मे उन्हें काम करने से रोक रहे हैं।’
मैंने एक स्पेशल फुल चाय का ऑर्डर देते हुए बात आगे बढ़ाई और कहा, ‘बंधु, काम नहीं करने दे रहे? यह तो बड़ी अजीब बात है। उन्हें जनता ने चुना है और उन्हें काम करने से कोई कैसे रोक सकता है? अफसरों को डांटने-फटकारने की उन्हें जरूरत क्यों पड़ी? अरे, वे रोजमर्रा के कामों में निष्पक्ष और बगैर राजनीतिक नफे-नुकसान की सोचे, बड़ा दिल रखकर काम करें तो आखिर कोई उनकी बात क्यों नहीं मानेगा? और फिर उन्हें तो अपनी बात मनवाना आना ही चाहिए। मैं, और मैं तो क्या, सभी लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर मेयर के सिर से पानी ऊपर कैसे चला गया? वे चुप क्यों थीं? उन्हें जो काम पहले दिन से करना था, वह अब क्यों किया?’
मैंने धड़ाधड़ सवाल दागे तो चायवाला थोड़ा ‘हूं’ करके रुका और बोला, ‘हां, कुछ बातें आपकी सही हैं, लेकिन वे घरेलू महिला ठहरीं। संयम से काम ले रही होंगी। शायद अब उन्हें और उनके इर्द-गिर्द रहने वालों को लगने लगा होगा कि शहर को व्यवस्थित करने का सारा के्रडिट अफसर ले रहे हैं, तो भडक़ी होंगी?’
‘अफसर भी तो सरकार के ही हैं। वे काम करें और क्रेडिट लें, तो इसमें बुराई क्या है? अच्छे अफसर हैं कहां और कितने? और फिर निगम में तो और भी मुश्किल है।’ मैंने अफसरों की तरफदारी करते हुए चायवाले को टटोला।
‘अफसरों की महिमा न्यारी है। कभी चुस्त रहते हैं और कभी एक दम सुस्त। हां इंदौर में कुछ दिन से काम दिखा रहे हैं, लेकिन अब नेताओं को तो यही बात अखर जाती है ना। उन्हें लगता है कि लगाम हाथ से फिसल रही है। इसलिए मौका देखते ही अफसरों पर पिल पड़ते हैं।’ वह मेयर से हटकर अब तमाम नेताओं पर आ गया और अफसरों का बचाव करने लगा।
मैं उसके ढुलमुल रवैये से हैरान रह गया और पूछा, ‘भाई, मैं आया था तब तुम मेयर की तरफदारी कर रहे थे और अब कोस रहे हो?’
मुझे चाय का गिलास पकड़ाते हुए बोला, ‘क्या करूं? समझ ही नहीं आ रहा है कि सही क्या है और गलत क्या? असल बात तो यह है कि मैडम की अफसरों पर पकड़ ढीली है और चिंता की बात है कि अफसर यह बात जानने भी लगे हैं। इससे मेरे इंदौर का नुकसान हो रहा है। तालमेल है नहीं और इसी कारण अब तक मेयर कोई बड़ा काम करके दिखा भी नहीं सकीं।’
अब मैं मेयर के समर्थन में उतरा, ‘हां, बहुत बड़ा काम तो कोई दिखता नहीं, लेकिन अभी राजबाड़ा क्षेत्र को स्मार्ट बनाने की कोशिश तो उन्होंने तेज की है।’
वह चाय की तपेली उतार चुका था और कुर्सी पर बैठ अखबार पलट रहा था। मेरी बात सुन बोला, ‘कोशिश तो की है, लेकिन कितने सवाल उठ रहे हैं? ये देखो, अभी तीन-चार दिन पहले स्मार्ट सिटी का मामला हाई कोर्ट चला गया। ऐसा लगता है कि मेयर सिर्फ एक क्षेत्र की हैं, पूरे शहर से उनका कोई लेना-देना नहीं।’
‘ऐसा क्यों बोल रहे हो? उन्हें तो सबने मिलकर चुना है। हर क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अच्छे खासे वोट दिए हैं।’ मैंने चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए कहा।
‘यही तो याद दिला रहा हूं। सिस्टम पर पकड़ बनाएं और पूरे शहर का ख्याल रखें। मेयर का काम भी तो यही होता है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे इंदौर चार की विधायक नहीं, इंदौर शहर की मेयर हैं। सबका ख्याल, सबका विकास करेंगी तभी बात बनेगी। बस भडक़ने, डांटने, गुस्सा होने से काम नहीं चलेगा। इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। भ्रष्ट और पस्त सिस्टम को सुधारेंगी, तभी बात बनेगी।’ उसने बीस के नोट में से पांच रुपए लौटाते हुए चर्चा समाप्त की।

* विजय चौधरी 

Friday, September 2, 2011

दिल्ली ने मांगी इंदौर के टोल की रिपोर्ट

इंदौर-देवास फोरलेन और इंदौर बायपास पर टोल शुरू करने से उपजे विरोध को देखते हुए दिल्ली के अफसरों ने इंदौर से रिपोर्ट तलब की है। इंदौर के अफसरों ने गुरुवार शाम को ही रिपोर्ट भेज भी दी है। हालांकि, टोल के टलने की संभावनाएं कम ही हैं।

हमने इंदौर में हुए विरोध की रिपोर्ट मांगी है। सभी संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। वैसे, देशभर में इस तरह के टोल जब भी शुरू होते हैं, विरोध होते हैं। जो कंपनी टोल लगा रही है,  उससे सरकार ने इसके लिए करार किया है। टोल वसूलने के साथ ही कंपनी पर कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं। जैसे, मार्ग पर कोई बाधा नहीं आएगी। निर्माण पूरा करने के दौरान वाहनों को परेशानी नहीं आना चाहिए। इन शर्तों का कंपनी पालन नहीं करे, तो  दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- एके मिश्रा, महाप्रबंधक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (मप्र-छत्तीसगढ़)

पहला दिन है, परेशानी तो आएगी ही
प्र- टोल पर पहले ही दिन भारी गड़बड़ी देखी गई, सॉफ्टवेयर तक ठीक से काम नहीं कर रहा था, क्या ट्रायल नहीं लिया गया ?
उ- ट्रायल लिया गया था, लेकिन पहले दिन तो परेशानी होती ही है। एक दो दिन में ठीेक  तरह से काम शुरू हो जाएगा।
प्र- टोल पर हुए विरोध के बारे में उच्च अधिकारियों ने जानकारी मांगी है क्या?
उ- हां, रिपोर्ट मांगी गई है और उन्हें दे भी दी गई है।
प्र- क्या टोल के स्थगित होने की कोई संभावना है ?
उ- देखिए, यह मसला नीति से जुड़ा है। आमतौर पर टोल पर रियायत नहीं दी जाती है।
(एनएचएआई इंदौर के परियोजना निदेशक एस.के. सिंह से चर्चा)


इस टोल से बचने के रास्ते भी मौजूद 
टोल टैक्स लागू जरूर हो गया है लेकिन लोग चाहेंगे तो कुछ वैकल्पिक रास्तों से गुजरकर इंदौर बायपास पर लगने वाले इससे बचा भी जा सकता है। दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण  (एनएचएआई) की कुछ शर्तें इसमें मदद करेंगी। 

टैक्स उन्हीं पर लगेगा जो बायपास के मांगलिया जंक्शन पर बने टोल प्लाजा को क्रॉस करेंगे। कार वाले 35 के बजाय 10 रु. देना चाहते हैं तो वे खंडवा रोड, नेमावर रोड, व्हाइट चर्च लिंक रोड, कनाडिय़ा रोड और एमआर-10 जंक्शन से शहर की ओर मुड़कर एबी रोड के शहरी हिस्से से गुजर सकेंगे।  

देवास की ओर से आने वाले कार चालक टैक्स बचाना चाहते हैं तो उन्हें मांगलिया जंक्शन से इंदौर शहर के एबी रोड पर आना पड़ेगा। इससे उन्हें ओल्ड एबी रोड पर बने टोल प्लाजा में सिर्फ 10 रुपए का टैक्स देना होगा और ये एबी रोड होकर एमआर-10 या अन्य वैकल्पिक मार्गो से बायपास तक आ सकेंगे।

शहरी क्षेत्र को फायदा देने के लिए प्रावधान
एनएचएआई के परियोजना निदेशक एसके सिंह ने बताया, बायपास के लीकेजेस से लोग टैक्स बचा सकेंगे। ऐसा एनएचएआई ने शहरी क्षेत्र में आने-जाने वाले लोगों को राहत देने के लिए किया है, इसीलिए एबी रोड पर कम दरों वाला टोल प्लाजा बनाया है। 

भोपाल आना-जाना हुआ और महंगा
फिलहाल इंदौर से भोपाल आने-जाने वाले कारचालकों को देवास बायपास से भोपाल के बीच चार टोल प्लाजा पर करीब 90 रु. देना पड़ते हैं।  ओल्ड एबी रोड और बायपास के टोल प्लाजा शुरू होने से कार चालकों को क्रम से 10 व 35 रु. देना पड़ेंगे। ऐसे में एबी रोड से भोपाल जाने वालों को 100 और बायपास होकर भोपाल जाने वालों को 125 रुपए देना पड़ेंगे। यदि 24 घंटे में आना-जाना हो रहा है और वाहनचालक वापसी का अग्रिम टैक्स देना चाहता है तो उसे वापसी के टैक्स में 50 फीसदी रियायत मिलेगी। 

सरकार ने इसलिए दिया वसूली का अधिकार
केंद्र ने 325 करोड़ रुपए की लागत से इंदौर-देवास फोरलेन और इंदौर बायपास (कुल लंबाई 45 किमी) को फोरलेन से सिक्स लेन में बदलने का प्रोजेक्ट मंजूर किया है। इसके तहत बायपास पर करीब 20 किमी लंबी सर्विस रोड भी बनाई जाना हैं जो अलग-अलग हिस्सों में होगी। इसी काम के ऐवज में कंपनी को पहले ही टैक्स वसूली का अधिकार दिया गया है। 

दो साल में पूरा करना होगा काम
एनएचएआई ने टोल वसूली के साथ ही यह शर्त भी लगाई है कि दो वर्ष में सिक्स लेन सड़क पूरी बना ली जाए। ऐसा नहीं करने पर कंपनी पर मोटा दंड लगाया जाएगा।

    पत्रिका, ०२ सितम्बर २०११

बीस मिनट में तीन किलोमीटर

- राजीव गांधी प्रतिमा से राजेंद्र नगर थाने तक की  सड़क
- महाराष्ट्र के मुसाफिर बोले, हमारे यहां ऐसी सड़क हो तो लोग आग लगा दें


आईए, आपको इंदौर की एक  ऐसी सड़क की सैर कराते हैं, जिसकी लंबाई तीन किमी है और इसे पार करने में वक्त लगता है बीस मिनट। इस बीच में आपकी गाड़ी फंस जाए, तो पता नहीं कितने घंटों बाद आपको राहत मिल सकेगी।
सड़क राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा (चौइथराम मंडी चौराहा) से शुरू होती है। शुरू होते ही आपकी परीक्षा शुरू हो जाती है। करीब दो-दो फीट गहरे गड्ढे हैं ओर इनमें पानी भरा हुआ है। जरा सी गफलत हुई और गाड़ी पलट जाएगी। परसों ही गेहूं से भरा ट्रक फंस गया था। उसके एक दिन पहले लकड़ी से लदा ट्राला अड़ गया था। जेसीबी के जोर से गाडिय़ां बाहर आ सकीं। थोड़ा आगे चलते हैं तो गायत्री कुंज और मां विहार कॉलोनी के गेट आते हैं। इनके सामने सड़क टीलों में तब्दील हो चुकी है। थोड़ा आगे जाने पर इंडियन आइल पेट्रोल पंप आता है। यहां जमीन और गड्ढे ही बचे हैं, सड़क लुप्त हो गई है। सरकारी फलबाग के सामने दो गहरे-गहरे ज्वालामुखी के मुंह जैसी आकृतियां जमीन में उकर आई हैं। इनसे बचकर आगे चलें तो राजेंद्रनगर थाने वाले तिराहा है। यहां एक चौथाई मार्ग बचा है।

ट्रक के साथ नापा समय
एमपी-09-एचजी-3788 नंबर के ट्रक में माल लाद कर इंदौर आ रहे नंदू गेहलोत की गाड़ी के साथ पत्रिका टीम ने रास्ता पार करने में खर्च होने वाला समय  नापा। बीस मिनट से अधिक खर्च होने के बाद नंदू अपनी गाड़ी को राजीव गांधी प्रतिमा के सामने लाकर खड़ा कर सका।

रांग साइड घुस रहे लोग
राह इतनी मुश्किल है कि वाहन चालकों को रांग साइड मेें भी घुसना पड़ रहा है। रुट नंबर 2 के सिटी बस चालक ने बताया, ऐसा नहीं करेंगे तो गाड़ी फंस जाएगी। कभी पलट गई तो पता नहीं क्या होगा?

'हमारे यहां इन्हें कुआं कहते हैं
महाराष्ट्र से कारोबार के सिलसिले में इंदौर आए होलाराम ने बताया, इस सड़क पर आकर तो मैं चौंक गया। हमारे यहां इस तरह की सड़क को कुआं कहते हैं। मुझे पहले पता होता कि ऐसे हाल हैं तो इस रुट से कभी नहीं आता।

'रोज महिला-बच्चे फंसते हैं यहां 
गड्ढों के पास रहने वाली सुशीला नागर कहती हैं, हम रोज लोगों को यहां गिरते देखते हैैं। महिलाएं बच्चों को स्कूल छोडऩे जाती हैं। उन्हें देखकर डर लगता है। कई बार फंस जाते हैं, तो हम जाक र मदद करते हैं।

तीन किमी के सफर में छह रुकावटें
(राजीव गांधी प्रतिमा से राजेंद्र नगर थाने तक)

पहली (100 मीटर पर)
चोइथराम मंडी से निकलते ही
दूसरी (500 मीटर पर)
गायत्रीकुंज कॉलोनी के बाहर
तीसरी (1.5 किमी पर)
पुलिया पार करके आया तोलकांटा
चौथी (1.7 किमी पर)
इंडियन आइल पेट्रोल पंप के सामने
पांचवी (2.2 किमी पर)
फलबाग के सामने
छठी (3 किमी पर)
राजेंद्रनगर थाना तिराहे पर

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बंगाली चौराहा से बायपास का बुरा हाल
यही हाल माधवरास सिंधिया प्रतिमा चौराहा (बंगाली चौराहा)से बायपास जाने वाली सड़क का भी है। यहां भी हम आपको बता रहे हैं, बाधाएं। इन्हें पार किए बगैर आप बायपास नहीं पहुंच सकते हैं।

तीन किमी के सफर में पांच रुकावटें
(बंगाली चौराहा से बायपास तक)

पहली (शून्य किमी पर)
चौराहे पर ही सड़क उखड़ी हुई है।
दूसरी (आधे किमी पर)
शहनाई रेसीडेंसी सेकंड के पास, पानी बह रहा है। पैदल चलना सर्कस में करतब दिखाने जैसा है।
तीसरा (पौन किमी पर)
एसआर पेट्रोल पंप के सामने । गिट्टी से सामना होगा।
चौथा (1.25 किमी पर)
शगुन रेसीडेंसी और संचार नगर बस स्टॉप पर।
पांचवा (2 किमी पर)
भारत पेट्रोल पंप के सामने दो गड्ढे जो अचानक सामने आ जाते हैं।
छठा (तीन किमी पर)
शराब की दुकाने के ठीक पहले सड़क के किनारे ध्वस्त हो चुके हैं।
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बारिश के बाद सुधरेंगे हाल
प्र- चोइथराम मंडी से राजेंद्रनगर थाने तक और बंगाली चौराहा से बायपास तक की सड़कें टूट चुकी है?
उ- जी हां, हालात तो उसकी खराब है ही।
प्र- कब बनेगी यह सड़क ?
उ- टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। संभवत: बारिश के बाद ही शुरुआत होगी।
प्र- इस बीच में क्या करेंगे?
उ- अभी तो कुछ भी करने का कोई अर्थ नहीं है। गिट्टी डालेंगे तो वह भी टूट जाएगी।
(पीडब्ल्यूडी चीफ इंजीनियर आरके काला से सीधी बात)

पत्रिका  ०२ सितम्बर २०११